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घुमारवीं (बिलासपुर)। घुमारवीं नगर परिषद में जिस उम्मीदवार का पिछले तीस सालों से एक छत्र राज था, उन्हें निराशा हाथ लगी है। वहीं मंत्री भी अपने वार्ड से भाजपा के उम्मीदवार को जिताने में कामयाब नहीं हो सके हैं। इस बार निवर्तमान भाजपा समर्थित अध्यक्ष राकेश चोपड़ा को मुंह की खानी पड़ी है।
मंत्री के अपने वार्ड से भाजपा समर्पित उम्मीदवार को केवल 58 मत हासिल हुए हैं। वह तीसरे स्थान पर रहे हैं। मंत्री का अपने वार्ड में ही समर्थित उम्मीदवार को न जीता पाना भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। भाजपा समर्थित नगर परिषद में इस बार दिग्गज हार का मुंह देखने को मजबूर हो गए। हैरानी तो इस बात की है कि मंत्री ने उनके पक्ष में वार्ड में खुद वोट मांगे थे। नगर परिषद घुमारवीं में इस बार निर्दलीय उम्मीदवारों का दबदबा रहा है। चार और छह वार्ड से दो निर्दलीय जीते हैं वे भी कांग्रेस समर्थित रहे हैं। वहीं दो सीटों पर भाजपा और दो पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है।
कांग्रेस विचारधारा से जुड़े आजाद उम्मीदवारों के जीतने से नगर परिषद में बेशक कांग्रेस का कब्जा होता दिख रहा है। लेकिन चुनावों के समय निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ जो घटनाएं घटी हैं उससे लगता है कि राजेश धर्माणी के लिए अपना खोया जनाधार पाना मुश्किल है। लेकिन चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद से ही मंथन का दौर शुरू हो गया है। वहीं दो दिन में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि घुमारवीं नप का ताज किसके सिर सजेगा।
घुमारवीं (बिलासपुर)। घुमारवीं नगर परिषद में जिस उम्मीदवार का पिछले तीस सालों से एक छत्र राज था, उन्हें निराशा हाथ लगी है। वहीं मंत्री भी अपने वार्ड से भाजपा के उम्मीदवार को जिताने में कामयाब नहीं हो सके हैं। इस बार निवर्तमान भाजपा समर्थित अध्यक्ष राकेश चोपड़ा को मुंह की खानी पड़ी है।
मंत्री के अपने वार्ड से भाजपा समर्पित उम्मीदवार को केवल 58 मत हासिल हुए हैं। वह तीसरे स्थान पर रहे हैं। मंत्री का अपने वार्ड में ही समर्थित उम्मीदवार को न जीता पाना भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। भाजपा समर्थित नगर परिषद में इस बार दिग्गज हार का मुंह देखने को मजबूर हो गए। हैरानी तो इस बात की है कि मंत्री ने उनके पक्ष में वार्ड में खुद वोट मांगे थे। नगर परिषद घुमारवीं में इस बार निर्दलीय उम्मीदवारों का दबदबा रहा है। चार और छह वार्ड से दो निर्दलीय जीते हैं वे भी कांग्रेस समर्थित रहे हैं। वहीं दो सीटों पर भाजपा और दो पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है।
कांग्रेस विचारधारा से जुड़े आजाद उम्मीदवारों के जीतने से नगर परिषद में बेशक कांग्रेस का कब्जा होता दिख रहा है। लेकिन चुनावों के समय निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ जो घटनाएं घटी हैं उससे लगता है कि राजेश धर्माणी के लिए अपना खोया जनाधार पाना मुश्किल है। लेकिन चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद से ही मंथन का दौर शुरू हो गया है। वहीं दो दिन में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि घुमारवीं नप का ताज किसके सिर सजेगा।